Podcast|2901| Carbon Credit score कार्बन क्रेडिट | UNFCCC GHG | Ram Kisanकिसान पाठशाला BALRAM KISAN

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Podcast|2901| Carbon Credit score कार्बन क्रेडिट | UNFCCC GHG | Ram Kisanकिसान पाठशाला BALRAM KISAN

एक शब्द सुनते हैं आप यूएनएफसीसीसी.
कॉप.
कार्बन एमिशन जीरो करना है.
कार्बन ऑफसेट.
जीएचजी.
CO2.
Error
शेयर.
Error
इस सब शब्द हम सुनते हैं अगर इनकी टर्म्स हमें पता चल जाए तो कार्बन क्रेडिट को समझना बहुत आसान हो जाए.
पर इससे पहले हम चर्चा करेंगे कि कार्बन क्रेडिट आया कहां से और क्यों.
पृथ्वी का टेंपरेचर बढ़ता जा रहा था जिससे क्लाइमेट चेंज का खतरा.
हो रहा था.
पृथ्वी को बचाने के लिए और इन कारणों का पता लगाने के लिए और दूसरा मोस्ट यह था कि सबको इन चीजों से अवगत कराने के लिए एक सम्मेलन बुलाया गया वह सम्मेलन ब्राजील में बुलाया गया ब्राजील के रियो शहर में बुलाया गया इसलिए उसे रियो सम्मेलन भी कहा जाता है.
क्योंकि पृथ्वी को बचाने के लिए पहला सम्मेलन किया गया.
1992 में 1992 में.
इसमें एक एजेंडा 21 पारित किया गया जिसे हम एजेंडा 21 बीके सकते हैं.
एजेंडा 21.
21वी सदी को बचाने के लिए किए जाने वाले प्रयासों के लिए पारित किया गया.
जिसमें यह कहा गया कि पृथ्वी को बचाना हर हाल में जरूरी है क्योंकि क्लाइमेट चेंज से सभी को दिक्कत होने वाली.
और इसकी जिम्मेदारी दी गई यूएनएफसीसीसी को यूएनएफसीसीसी का फुल फॉर्म होता है यूनाइटेड नेशंस फ्रेमवर्क कन्वेंशन ऑन क्लाइमेट चेंज.
इसको जो जिम्मेदारी दी गई उसका काम यह था कि पर्यावरण का ध्यान रखना.
और सभी को इन चीजों के प्रति जागरूक करना.
और उसके लिए जो आवश्यक कदम हो वह सभी कदम उठाना ताकि क्लाइमेट चेंज और पृथ्वी को बचाया जाए.
तो यूएनएफसीसीसी ने क्या करा.
सभी देशों को.
यह प्रस्ताव भेजा कि आप भाई.
ग्लोबल वार्मिंग से लड़ने में हमारी मदद कीजिए और हमको सबको एक साथ आना पड़ेगा.
दुनिया के सभी देश एक साथ आए.
तकरीबन 193 या 197 के आसपास देश इसमें शामिल हुए.
और सब ने मिलकर तय किया कि हम पृथ्वी के टेंपरेचर को 2 डिग्री सेंटीग्रेड से ऊपर नहीं बढ़ने देंगे हमारे यहां ऐसे प्रयास करेंगे जिससे कि पृथ्वी का टेंपरेचर और ज्यादा नहीं बड़े.
उठाई किया गया कि.
इन सब बातों के लिए हम हर साल बैठक बुलाएंगे और सभी देश उसमें समान रूप से पार्टिसिपेट करेंगे.
उसकी जो बैठक होती है.
उस बैठक को कहते हैं को.
पीओपी.
कॉन्फ्रेंस आफ पार्टीज.
को.
पीओपी.
इसका पहला बैठक 1995 में बुलाया गया 1995 में.
दर्शन यूएनएफसीसीसी का गठन 1992 में हो गया था.
उसके.
3 साल बाद 1995 में.
1 को.
बुलाई गई यानी कि सभी देशों की एक मीटिंग बुलाई गई.
पहली जो पार्टी बुलाई गई थी वह.
जर्मनी में बुलाई गई थी.
और इसी को को फर्स्ट कहा जाता है यानी कि सिओपी फर्स्ट.
ऐसे लगातार बढ़ती गई और अभी लेटेस्ट 2021 में जो को पीओपी की जो मीटिंग हुई है वह को 356 है.
और जो स्कॉटलैंड में बुलाई गई है.
अब अगला जब होगा तो उसको हम co-op 27 कहेंगे.
तो सिओबी का मतलब हम समझ चुके हैं कि इसका मतलब होता है कॉन्फ्रेंस आफ पार्टीज.
अब यह जो सम्मेलन स्कॉटलैंड में हुआ.
इसमें तुर्की.
चाइना और रसिया ने भाग नहीं लिया.
इस सम्मेलन का मुख्य उद्देश्य था.
कार्बन एमिशन को नेटजीरो करना है 2050 का.
नेट जीरो का मतलब यह होता है कि हम जितना कार्बन का उत्सर्जन करेंगे.
उतना ही कारबन हम सोच लेंगे याने कि CO2.
कार्बन.
अब.
अब.
हम जानकारी में ऐसा समझिए कि जितने भी वाहन चलते हैं या पृथ्वी पर जो कुछ भी जलाया जाता है और जलने से जो गैस बनती है उसे कहते हैं CO2.
कार्बन गैस होती है और कार्बन गैस क्या करती है कि पृथ्वी के टेंपरेचर को बढ़ाने में.
मदद कर.
मतलब कि उसको बढ़ा देती है जिससे.
क्लाइमेट चेंज का खतरा बनता है वह इस CO2 गैस की वजह से ही बनता है.
जब किसी चीज को हम जलाते हैं तो उसमें से कार्बन डाइऑक्साइड निकलता है और जब किसी चीज को आधा जलाया जाता है तो उसमें कार्बन मोनोऑक्साइड निकलता है लेकिन निकलता तो कार्बन डाइऑक्साइड ही है.
इस सम्मेलन में भारत ने कहा कि हम 2070 तक कार्बन एमिशन जीरो कर दें.
या नहीं.
जितना हम कार्बन प्रोड्यूस करेंगे उतना कार्बन हम तो क्ले.
इसे हम तत्काल से नहीं कर सकते हैं क्योंकि इसे ऐसा समझिए कि अगर हमने कहा कि कार्बन एमिशन जीरो कर देते हैं इसका मतलब यह हुआ कि हमारे यहां के जितने भी फैक्ट्री स्व गहरा है उन्हें हमें शटडाउन करना पड़ेगा जो हम फूल का उपयोग करते हैं उसे कम करना पड़ेगा तो वह सब अभी एक साथ करना भारत के लिए संभव नहीं है या यूं कहें कि हमारे लिए करना संभव नहीं है.
अब बहुत से देश ऐसे हैं जो कार्बन कोचिंग कर देते हैं कार्बन कोचिंग करने का मतलब यह होता है कि जो कार्बन उनके यहां उत्पन्न हो रहा है उसे रोक लेना.
कार्बन डाइऑक्साइड को सूखने की सबसे ज्यादा समझा समुद्र में होती है.
अब इन देशों ने क्या किया है कि इंडस्ट्रियल रिवॉल्यूशन जब से आया है.
तब से अभी तक कार्बन सिंक की प्रोसेस यह समुद्र के माध्यम से करते रहे हैं उस वजह से.
अब समुद्रों ने भी जवाब दे दिया है कि भैया अब आप कार्बन सिंह हमसे नहीं कर सक.
अब महासागरों ने जवाब दे दिया है कि वह कार्बन सिंह हमसे नहीं होगा.
तो अब कार्बन सूखने के लिए एक ही रास्ता बचता है जंगल पेड़ पौधे पेड़ पौधे क्या करते हैं कि कार्बन डाइऑक्साइड को लेते हैं फोटोसिंथेसिस प्रक्रिया करते हैं और हमें ऑक्सीजन दे देते.
तो जहां पर जंगल ज्यादा है तो उन्हें कार्बन सिंक कहा जाता है कि वह कार्बन डाइऑक्साइड को शोक लेते हैं इसलिए उन्हें कार्बन सिंह का कहा जाता है.
ब्राजील के जंगलों को दुनिया का सबसे बड़ा कार्बन सिंह माना जाता है.
क्योंकि 1 तरीके से उन्हें.
दुनिया का फेफड़ा कहा जाता है वह सांस लेते हैं.
कार्बन डाइऑक्साइड लेते हैं और हमें ऑक्सीजन देते हैं तकरीबन दुनिया की ऑक्सीजन रिक्वायरमेंट का 20 परसेंट.
ब्राजील के जंगलों से पूर्ति होती है इसीलिए इन्हें कार्बन सिंह या.
पृथ्वी के फेफड़े काहे जाते हैं.

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